विद्युत धारा क्या है? Electric Current Kya Hai Hindi me.
विद्युत धारा Electric Current
प्रस्तावना Introduction
इस ब्लॉग में, हम विद्युत धारा Electric Current पर चर्चा करेंगे, इसकी मूल परिभाषा से लेकर इसके व्यावहारिक अनुप्रयोगों तक। हमारा लक्ष्य आपको विद्युत धारा के गुणों और विशेषताओं को समझना, और यह हमारे दैनिक जीवन को कैसे प्रभावित करता है इसकी पूरी जानकारी देना।
विद्युत धारा क्या है What is Electric Current
अधिकांश धातुओं के परमाणुओं की अन्तिम कक्षा में केवल एक-दो इलैक्ट्रॉन्स ही होते हैं और नाभिक से दूर होने के कारण इनमें नाभिक के प्रति आकर्षण बल (attraction force) का मान काफी कम होता है। अतः ऐसे तत्त्वों के परमाणुओं में से कुछ बल लगाकर; जैसे-विद्युत वाहक बल लगाकर इलैक्ट्रॉन्स को गतिमान किया जा सकता है। ऐसे इलैक्ट्रॉन्स (free electrons), एक परमाणु से दूसरे परमाणु में होते हुए उस तत्त्व के टुकड़े के आर-पार प्रवाहित किए जासकते हैं। इस प्रकार, "किसी तत्त्व का पदार्थ में से इलैक्ट्रॉन्स का प्रवाह विद्युत धारा कहलाता है।"(The flow of electrons from an element to a substance is called an electric current)
विद्युत धारा के प्रवाह की दिशा Direction of Current Flow
प्रारम्भिक अवधारणा (conventional Concept) के अनुसार विद्युत धारा की दिशा धन (+) वस्तु के ऋण (-) वस्तु की ओर होती है; परन्तु इलैक्ट्रॉन्स की खोज एवं परमाणु संरचना ज्ञात हो जाने के बाद यह पता चला कि जिस वस्तु के परमाणु कुछ इलैक्ट्रॉन्स त्याग देते हैं; वह वस्तु धनावेशित (positively charged) कहलाती है। इसी प्रकार, जिस वस्तु के परमाणु कुछ इलैक्ट्रॉन्स ग्रहण कर लेते हैं वह वस्तु ऋणावेशित (negatively charged) वस्तु कहलाती है अर्थात् मुक्त इलैक्ट्रॉन्स की बहुलता वाली वस्तु, ऋणावेशित एवं इनकी कमी वाली वस्तु, धनावेशित वस्तु होती है। जिस वस्तु के पास मुक्त इलैक्ट्रॉन्स की बहुलता है, वही दूसरी मुक्त इलैक्ट्रॉन्स की कमी वाली वस्तु को मुक्त इलैक्ट्रॉन्स दे सकती है। अत: 'इलैक्ट्रॉन्स के बहाव' की दिशा ऋण वस्तु से धन वस्तु की ओर होती है।
क्योंकि इलैक्ट्रॉन्स के बहाव की दिशा, विद्युत धारा प्रवाह की प्रारम्भिक अवधारणा के बिल्कुल विपरीत है और उसे बदलना भी सुविधाजनक नहीं है। अत: इस नये सिद्धान्त को इलैक्ट्रॉन्स या विद्युत धारा का बहाव के नाम से जाना जाता है और इसके प्रवाह की दिशा ऋण वस्तु से धन वस्तु की ओर होती है।
विद्युत धारा की परिभाषा Definition of Electric Current
किसी भी तार या सर्किट में इलैक्ट्रॉनों के एक ही दिशा में बहने की दर को इलैक्ट्रिक करंट कहते हैं। इसका चिन्ह (I) है और इसकी इकाई एम्पीयर (A) है।
विद्युत धारा का si मात्रक क्या है
विद्युत धारा की मात्रा मापने का यंत्र Electric Current Measuring Instrument
जिस इन्स्ट्रूमेंट द्वारा करंट नापी जाती है वह एम्पीयर मीटर या एमीटर (Ammeter) कहलाता है। जिसे हमेशा सर्किट के सीरीज में जोड़ा जाता है।
विद्युत धारा का सूत्र electric current formula
ओम के नियम के अनुसार विद्युत धारा का सूत्र:-
I=V/R
Resistance के बारेमे पड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करे;- What is Resistance
विद्युत सर्किट Electrical Circuit
जब बैट्री से या जनरेटर के +ve तार से करंट निकलकर रैजिस्टेंस से होता हुआ -ve तार के द्वारा वापस बैट्री या जनरेटर में पहुंचे तो उसे सर्किट कहते हैं। अर्थात् जब सप्लाई की +ve तार और नेगेटिव तार के बीच कोई रैजिस्टेंस जैसे लैम्प, हीटर, प्रेस आदि आता है, तो उसमें से करंट चले या ना चले, वह एक सर्किट कहलाता है।
सर्किट निम्न प्रकार के मान सकते हैं :
ओपन सर्किट (Open circuit)
जब चित्र (a) के अनुसार स्विच ऑन नहीं है तो सर्किट 'ओपन' कहलाता है।
क्लोज सर्किट (Close circuit)
जब चित्र (b) के अनुसार स्विच ऑन होता है और नार्मल करंट चलती है तो वह सर्किट 'क्लोज सर्किट' कहलाता है।
शार्ट सर्किट (Short circuit)
विद्युत करंट सदा छोटे से छोटा रास्ता लेती है। इस प्रकार जब चित्र (c) के अनुसार तार बिंदुओं A और B के बीच मिल जाये तो करंट का रास्ता छोटा और सीधा हो जाता है। इसे शार्ट सर्किट कहते हैं। ऐसे सर्किट में करंट नार्मल करंट से कई गुना अधिक करंट चलती है।
विद्युत धारा की किस्में Types of Electric Current
विद्युत धारा मुख्यतः निम्न दो प्रकार की होती है।
Direct current (D.C.)
जिस विद्युत धारा का मान और दिशा नियत रहती है वह दिष्ट धारा Direct current (D.C.) कहलाती है। यह सैल, बैट्री, जनित्र आदि से प्राप्त की जाती है। इसका उपयोग इलैक्ट्रोप्लेटिंग, आर्क वैल्डिंग, बैट्री चार्जिंग, इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों के प्रचालन आदि में किया जाता है।
Alternating Current (A.C.)
जिस विद्युत धारा का मान और दिशा एक नियत दर पर परिवर्तित होते रहते हैं वह प्रत्यावर्ती धारा Alternating Current (A.C.) कहलाती है। यह आल्टरनेटर (ए. सी. जनित्र) से प्राप्त की जाती है। इसका उपयोग घरेलू, औद्योगिक आदि क्षेत्रों में प्रकाश, ऊष्मा, ठण्डक, यान्त्रिक ऊर्जा आदि प्रदान करने वाले उपकरणों को प्रचालित करने के लिए किया जाता है।
बिजली की करंट के प्रभाव Effect of Electric Current
करंट के निम्न प्रभाव हैं:
- शारीरिक प्रभाव (Physical Effect)
- किरणें उत्पन्न करने का प्रभाव (Rays' Effect)
- गर्मी प्रदान करने का प्रभाव (Heating Effect)
- रासायनिक प्रभाव (Chemical Effect)
- चुम्बकीय प्रभाव (Magnetic Effect)
- गैस आयनीकरण प्रभाव Gas lonisation Effect
शारीरिक प्रभाव (Physical Effect)
जीवित शरीर में से बिजली के गुजरने पर शरीर की अंतड़ियाँ और नसें आदि सिकुड़ जाती हैं। और शरीर को झटका अनुभव होता है। क्योंकि शरीर बिजली का अच्छा चालक है। यदि बिजली की वोल्टेज अधिक शक्ति की है तो मनुष्य या अन्य जीव मर भी सकते हैं। इसलिए बिजली की नंगी तारों को (Conductor Carrying Current) पृथ्वी पर खड़े नंगे हाथों से कभी नहीं छूना चाहिए। थोड़ी वोल्टेज की बिजली के झटके लेने से शरीर के कई रोग दूर हो जाते हैं, जिसका उपयोग अस्पतालों में होता है।
किरणें का प्रभाव (X-rays' Effect)
यदि अधिक voltage एवं अधिक frequency की बिजली vacuum tube में से गुज़ारी जाये तो उसमें एक विशेष प्रकार की किरणें उत्पन्न हो जाती हैं। ऐसी किरणें को एक्सरेज (X-Rays) कहते है। इन किरणों की सहायता से शरीर के भीतरी अंगों का चित्र (Photo) उतारा जा सकता है। इसलिए डाक्टरी उपचार में यह अत्यंत लाभदायक सिद्ध हुई हैं।
ऊष्मीय प्रभाव ( Heating Effect)
प्रत्येक चालक स्वयं में से होने वाले विद्युत धारा प्रवाह का कम या अधिक विरोध करता है जिसके फलस्वरूप वह गर्म हो जाता है। यह विद्युत धारा का ऊष्मीय प्रभाव कहलाता है।" इस प्रभाव का उपयोग इलैक्ट्रिक प्रैस, इलैक्ट्रिक आयरन, हीटर, बल्ब आदि में किया जाता है। बल्ब तो ऊष्मा के साथ-साथ प्रकाश भी उत्पन्न करता है।
चुम्बकीय प्रभाव (Magnetic Effect)
विद्युत धारावाही चालक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र पैदा हो जाता है। यह विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव कहलाता है।” इस प्रभाव का उपयोग विद्युत घण्टी, विद्युत चुम्बक, पंखा, मोटर, जनित्र आदि में किया जाता है।
रासायनिक प्रभाव (Chemical Effect)
अम्लीय विलयनों में से विद्युत धारा प्रवाहित करने पर विलयन में घुले पदार्थ अपने अवयवों में विभाजित हो जाते हैं, यह विद्युत धारा का रासायनिक प्रभाव कहलाता है। इस प्रभाव का उपयोग सैल, विद्युल्लेपन, धातु निष्कर्षण आदि कार्यों में किया जाता है। उदाहरण के लिए:-
बैट्री (Battery) - इसमें रासायनिक क्रिया द्वारा विद्युत एनर्जी को कैमीकल एनर्जी में बदल कर इकट्ठा किया जाता है। और जब चाहें, जहाँ चाहें सप्लाई प्राप्त कर सकते हैं।
गैस आयनीकरण प्रभाव (Gas lonisation Effect)
किसी विसर्जन-नलिका में भरी मरकरी वेपर गैस, सोडियम वेपर गैस आदि में से विद्युत धारा प्रवाहित करने पर गैस का आयनीकरण हो जाता है। यह विद्युत धारा का आयनीकरण प्रभाव कहलाता है।" इस प्रभाव का उपयोग उच्च प्रकाश तीव्रता वाले बल्बों में किया जाता है। टिप्पणी उपरोक्त के अतिरिक्त विद्युत धारा के कुछ अन्य प्रभाव भी होते हैं जैसे शरीर में झटका लगना। इसका उपयोग मानसिक रोगों की चिकित्सा में किया जाता है।
इलेक्ट्रिक करंट का इतिहास History of Electric Current
बिजली प्राचीन काल से ही देखी जाती रही है लेकिन 17वीं सदी में ही शोधकर्ताओं ने इसके गुणों को समझना शुरू किया। 18वीं शताब्दी में, विद्युत आवेश (electric charge) की अवधारणा पेश की गई और सदी के अंत तक, पहली बैटरी का आविष्कार किया गया।
19वीं शताब्दी में विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की खोज, विद्युत मोटरों (electric motors) के विकास और विद्युत प्रवाह को नियंत्रित करने वाले कानूनों की स्थापना के साथ क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति देखी गई।
20 वीं शताब्दी में प्रत्यावर्ती धारा का उदय, इलेक्ट्रॉनिक्स का विकास और पहले ट्रांजिस्टर का आविष्कार हुआ। आज, बिजली आधुनिक जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है और इसके अनुप्रयोगों का विस्तार जारी है।
विद्युत सुरक्षा Electrical Safety
विद्युत सुरक्षा का तात्पर्य बिजली के झटके,आग और विस्फोट जैसे बिजली के खतरों को रोकने के लिए की जाने वाली precautions और सावधानियों से है। इसमें बिजली के उपकरणों और प्रणालियों की उचित स्थापना पर रखरखाव और उपयोग के साथ-साथ संभावित बिजली के खतरों के ज्ञान और जागरूकता और उनसे बचने के तरीके का ज्ञान होना भी शामिल हैं।
कुछ सामान्य विद्युत सुरक्षा उपायों में उपयुक्त सुरक्षात्मक गियर का उपयोग करना, बिजली के उपकरणों की उचित ग्राउंडिंग सुनिश्चित करना और बिजली के साथ काम करते समय उचित प्रक्रियाओं का पालन करना शामिल है। दुर्घटनाओं को रोकने और अपनी और दूसरों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए विद्युत सुरक्षा को गंभीरता से लेना महत्वपूर्ण है।
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FAQ
Q1 - इलेक्ट्रिक करंट को हिंदी में क्या कहते हैं?
Ans - इलेक्ट्रिक करंट को हिंदी में विद्युत धारा कहते हैं।
Q2 - विद्युत धारा का मात्रक और सूत्र क्या है?
Ans - विद्युत धारा की SI इकाई एम्पीयर है। इसे (A) से दर्शाया जाता है। ओम के नियम के अनुसार विद्युत धारा का सूत्र:- I=V/R
Q3 - इलेक्ट्रिक करंट कितने प्रकार के होते हैं?
Ans - विद्युत धारा मुख्यतः निम्न दो प्रकार की होती है।
1 - Direct current (D.C.) दिष्ट धारा
2 - Alternating Current (A.C.) प्रत्यावर्ती धारा
Q4 - इलेक्ट्रिक करंट की परिभाषा क्या है?
Ans - किसी भी तार या सर्किट में इलैक्ट्रॉनों के एक ही दिशा में बहने की दर को इलैक्ट्रिक करंट कहते हैं। इसका चिन्ह (I) है और इसकी इकाई एम्पीयर (A) है।
Q5 - विद्युत धारा किसे कहते है?
Ans - "किसी तत्त्व का पदार्थ में से इलैक्ट्रॉन्स का प्रवाह विद्युत धारा कहलाता है।"(The flow of electrons from an element to a substance is called an electric current)
electricity के बारेमे पड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करे;- electricity
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